किसानों की रसीद से नदारद गेहूं बोनस की रकम

  गोविंद सोनी

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने गेहूं की खरीद पर केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा अपनी तरफ से प्रति क्विंटल 160 रुपए बोनस देने की घोषणा की थी। इसके बावजूद बोनस की रकम का उल्लेख सरकारी खरीद की रसीद में नहीं है। इससे किसानों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई कि उन्हें बोनस मिलेगा भी या नहीं।

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने किसानों के मुद्दाें को जोरशोर से उठाया था, लेकिन सरकार बदलने के बावजूद सरकारी रवैये में ज्यादा बदलाव नहीं दिख रहा है। इस बात को गेहूं पर बोनस के मामले से समझा जा सकता है। कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में किसानों को बोनस देने का ऐलान किया था। पिछले महीने पांच मार्च को भोपाल में हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में कमलनाथ सरकार ने गेहूं पर 160 रुपये और मक्का पर 250 रुपये प्रति क्विंटल बाेनस देने को मंजूरी दी थी। 25 मार्च से शुरू होकर 24 मई तक चलने वाली गेहूं की सरकारी खरीद में किसानों को 1840 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी के साथ 160 रुपए बाेनस भी दिया जाना था।

लेकिन सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों द्वारा बेचे जा रहे गेहूं के बाद दी जाने वाली रसीद पर  राज्य या केंद्र सरकार के किसी बाेनस का उल्लेख नहीं है। ऐसे में किसानों के सामने गेहूं बोनस को लेकर असंमजस की स्थिति बनी हुई है। क्रय सोसायटी से दी जाने वाली पावती रसीद पर केंद्र और राज्य सरकार के बोनस की जगह शून्य लिखा है। ये शून्य किसानों की नाराजगी का सबब बना रहा है।

गेहूं खरीद की रसीद दिखाते राजगढ़ जिले के धनराज सिंह गुर्जर, दरियाव सिंह, जितेंद्र पंवार व अन्य किसान

 

गेहूं खरीद की रसीद दिखाते राजगढ़ जिले के धनराज सिंह गुर्जर, दरियाव सिंह, जितेंद्र पंवार व अन्य किसानमध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के टोड़ी गांव के किसान धनराज सिंह गुर्जर इस बारे में बताते हैं, “राज्य सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य पर गेहूं की तुलाई पर प्रति क्विंटल 160 रुपए बोनस देने की घोषणा की थी। लेकिन पावती रसीद पर न तो केंद्र सरकार का कोई बाेनस है न ही राज्य सरकार का। केवल जीरो लिखा है। किसानों को गुमराह किया जा रहा है। किसानों को सोयाबीन का 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी अभी नहीं मिला है।”

मध्य प्रदेश के जिस राजगढ़ में किसानों को इस समस्या का सामना करना पड़ा वहां की कलेक्टर निधि निवेदिता ने इस बारे में सरकार का पक्ष रखा है। उनका कहना है कि किसानों को पूरा बोनस दिया जा रहा है। वे कहती हैं, “सॉफ्टवेयर समस्या के कारण जो प्रिंट निकल रही थी उसमें बोनस नहीं दिख पा रहा था। जो भुगतान किसानों दिया गया है, उसमें 160 रुपये बोनस जोड़कर ही भुगतान हुआ है। अब सॉफ्टवेयर की समस्या को ठीक करवा दिया गया है जिससे समस्या नहीं होगी।”