पराली जलाने पर चालान काटने पहुंचे अधिकारियों को किसानों ने बंधक बनाया!

 

धान की कटाई के बाद बचे अवशेष जलाए जाने के मामले में हर साल की तरह इस बार भी सरकार किसानों पर सख्ती दिखाने में जुटी है. पराली जलाने पर किसानों पर जुर्माना लगाया जा रहा है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि धान के अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है वहीं किसानों का कहना है कि इसको रोकने के लिए सरकार की ओर से किसानों को ऐसी मशीनें दी जानी चाहिए जिसकी मदद से पराली का निबटारा किया जा सके.

सरकारी अधिकारियों को बंधक बनाए जाने की घटना अंबाला के कोट कछुआ गांव की है. जब एक पटवारी, ग्राम सचिव और एक कृषि विभाग के अधिकारी पराली जलाने पर चालान जारी करने पहुंचे तो किसानों ने तीनों अधिकारियों को वहीं बैठा लिया. किसानों ने अधिकारियों से कहा अगर सरकार चाहती है कि किसान पराली न जलाए उसके लिए सरकारी को ऐसी मशीनें खरीदकर देनी चाहिए जिससे पराली को ठिकाने लगाया जा सके.

वहीं किसानों ने कहा जब हमारी फसल खराब होती है तो ये अधिकारी गिरदावरी के लिए दफ्तरों के चक्कर कटवाते हैं लेकिन आज हमें चालान थमाने के लिए हमारे खेतों में आ रहे हैं. वहीं स्थानीय पुलिस के दखल के बाद किसानों ने तीनों अधिकरियों को गांव से जाने दिया.

अंबाला कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने पर कईं किसानों के चालान काटे गए हैं और कईं मामलों की जांच की जा रही है. किसान इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, लेकिन विभाग का कहना है कि इससे किसानों में जागरूकता बढ़ रही है और कई लोग अब आदेशों का पालन कर रहे हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है, लेकिन किसानों का कहना है कि पराली जलाने से उन्हें फायदा होता है और फसल की पैदावार बढ़ती है. उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि जो भी प्रशासनिक प्रतिनिधि ग्रामीण इलाकों में चालान काटने आएगा, उसे वे बंधक बना लेंगे और अगर इस दौरान किसी भी किसान का चालान काटा गया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे. इससे पहले किसानों ने हाल ही में अपनी मांगों को लेकर अंबाला लघु सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन किया था.