पासवान ने मिलों पर फिर बनाया चीनी कीमतें कम रखने का दबाव
गन्ना किसानों को उचित दाम और बकाया भुगतान दिलाने में नाकाम रहने वाली केंद्र सरकार चीनी मिलों पर लगातार कीमतेंं काबू में रखने का दबाव बना रही है। पिछले वर्षों के दौरान चीनी की कीमतों में गिरावट के चलते ही न तो किसानों को उपज का सही दाम मिल पाया और न ही चीनी मिलें समय पर भुगतान कर पा रही हैं। घाटे के बोझ में कई चीनी मिलें बंद होने के कगार पर हैं जबकि किसानों का भी गन्ने से मोहभंग होने लगा है।
शुक्रवार को खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि चीनी के दाम मौजूदा स्तर से बढ़तेे हैं तो सरकार आवश्यक कार्रवाई करेगी। चीनी की कीमतों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, देश में चीनी की कमी नहीं है और आगे कीमतों में वृद्धि के आसार भी कम हैं। लेकिन किसान काेे अक्सर बाजार के हवाले छोड़ने वाली सरकार चीनी के मामले में जबरदस्त हस्तक्षेप करने पर आमादा है। पासवान ने मिलों से चीनी कीमतों में स्थिरता बनाए रखने की अपील की है। जबकि जगजाहिर है कि चीनी कीमतों में कमी की सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ती है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा ने असलीभारत.कॉम को बताया कि पहले सरकार को यह देखना चाहिए क्या चीनी के दाम वाकई अत्यधिक बढ़ गए हैं। इस समय दिल्ली के खुदरा बाजार में चीनी का दाम 42 रुपये किलो है। चीनी मिलों के गेट पर दाम 35.5-36 रुपये किलो के आसपास है जबकि चीनी उत्पादन की लागत करीब 33 रुपये प्रति किलोग्राम आ रही है। अगर मिलों को दस फीसदी मार्जिन भी नहीं मिलेगा तो कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। वर्मा का कहना है कि पिछले साल चीनी के दाम बुरी तरह टूट गए थे और जिसके चलते मिलों पर कर्ज का बोझ है। इससे उबरने के लिए भी जरूरी है कि चीनी के दाम ठीक रहें। वर्मा के मुताबिक, इस साल चीनी की कीमतों में जो थोड़ा सुधार दिखा है दरअसल वह पिछले साल का करेक्शन है और दो साल पुराना दाम है। सरकार खुद मान रही है देश में चीनी की कमी है। ऐसे में इतनी जल्दी पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
एथनॉल एक्साइज ड्यूटी पर छूट खत्म, चीनी मिलों का झटका
इस बीच, केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को एथनॉल पर दी जा रही एक्साइज ड्यूटी की छूट वापस ले ली है। सरकार का यह कदम भी चीनी मिलों को चुभ रहा है। घाटे से जूझ रही मिलों को उबारने के लिए केंद्र सरकार ने यह रियायत दी थी, जो पेराई सीजन खत्म होनेे से पहले ही वापस ले ली गई है।
किसानों का अब भी 4 हजार करोड़ बकाया
चीनी के दाम का सीधा संबंध किसान से है। इस साल मार्च से चीनी के दाम करीब 10-12 फीसदी बढ़े हैं। दूसरी तरहगन्ना किसानों का बकाया भुगतान घटकर करीब 4 हजार करोड़़ रुपये गया है जो पिछले साल इसी समय 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा था। यह हालत तब हैै कि जबकि पिछले तीन साल से गन्नाा मूल्य में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। पिछले तीन-चार साल से उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य में गन्नाा मूल्य 260-280 रुपये कुंतल के आसपास है। इस स्थिर मूल्य का भुगतान पाने के लिए भी किसानों को कई महीनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।