1,070 करोड़ रुपये का रजिस्ट्री घोटाला, ड्राफ्ट ऑडिट से हुआ खुलासा !

 

हरियाणा सरकार में एक बार रजिस्ट्री घोटाला सामने आया है. दरअसल ड्राफ्ट ऑडिट में रजिस्ट्री से जुड़े मामले में 1070 करोड़ रुपये के हेरफेर का खुलासा हुआ है. हरियाणा विकास और विनियमन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए रजिस्ट्रेशन न कराने और घोषणा पत्र (डीओडी) के रजिस्ट्रेशन में देरी के चलते 1,070 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.

बता दें कि डीओडी एक आधिकारिक संपत्ति दस्तावेज है जिससे जमीन के प्रकार से लेकर बिल्डर द्वारा किए गए निर्माण के कुल क्षेत्रफल तक की पूरी जानकारी मिलती है. वहीं ऑडिट में सामने आया कि एचडीआरयूए अधिनियम के तहत लाइसेंसधारी जमीन के मालिक को बिल्डिंग का काम पूरा होने के 90 दिनों के भीतर डीओडी और रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है लेकिन इस मामले में न तो 90 दिनों के भीतर जमीन मालिकों द्वारा डीओडी जमा करवाई गई और न ही जमीन की रजिस्ट्रेशन करवाया गया. वहीं इऩ नियमों का उल्लंघन करने वालों पर तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

ऑडिट में सामने आया कि प्राइवेट कॉलोनाइजरों द्वारा 43 सब-रजिस्ट्रार (2019-22 से) के रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि 73 डीओडी चार से 6,752 दिनों की देरी के बाद पंजीकृत किए गए थे. ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि निदेशक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) की लापहरवाही के कारण 40.75 करोड़ रुपये के जुर्माने की वसूली नहीं हुई.

ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि गुरुग्राम, सोनीपत, पानीपत, करनाल, फरीदाबाद और रेवाड़ी में 199 मालिकों वाली जमीन को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से लाइसेंस प्राप्त किए बिना 1,463 छोटे आवासीय प्लॉट काटे गए. वहीं सोनीपत में वर्धमान डेवलपर्स के मामले में न तो वक्त रहते डीओडी का रजिस्ट्रेशन करवाया गया और न ही 3,062 दिनों की देरी के लिए 3.07 करोड़ रुपये के जुर्माने का वसूली की गई.