RSS ने यूपी चुनाव से पहले बनाई किसान आंदोलन के काट की रणनीति!
एक तरफ तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर पिछले 9 महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर संघ किसान आंदोलन की काट निकालने में जुटा है. उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले किसान आन्दोलन की धार कमजोर करने के लिए आरएसएस के संगठन ‘भारतीय किसान संघ’ ने इंदौर में दो दिवसीय बैठक की. बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन का असर कम करने पर रणनीति बनाई गई. किसान संघ ने किसान आंदोलन के बरअक्स 8 सितंबर को देशभर के जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरने का एलान किया.
इंदौर में हुई भारतीय किसान संघ की बैठक में आरएसएस के करीबन 15 पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. किसान संघ ने नये कृषि कानूनों में सुधार और एमएसपी लागू करने के साथ संगठन को मजबूत करने के लिए देशभर में करीब सवा करोड़ सदस्य जोड़ने की बात कही.
किसान आंदोलन की शुरुआत में ‘भारतीय किसान संघ’ ने केंद्र सरकार से नये कृषि कानूनों में सुधार की मांग की थी लेकिन जैसे-जैसे किसान आंदोलन आगे बढ़ा, किसान संघ ने भी कृषि कानूनों में सुधार की मांग से किनारा कर लिया.
लेकिन अब यूपी विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन की काट के लिए संघ ने भी आंदोलन करने की रणनीति बनाई है. इंदौर में बैठक के बाद ‘भारतीय किसान संघ’ ने जन आंदोलन खड़ा करने की बात कही.
किसान संघ ने 31 अगस्त तक सरकार की ओर से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की घोषणा करने की मांग की. मांग पूरी नहीं होने पर 8 सितंबर से देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की बात कही. भारतीय किसान संघ 8 सितंबर को देशभर के जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरने के साथ आंदोलन की घोषणा करेगा. साथ ही संघ की ओर से प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर लाभकारी मूल्य देने का आग्रह किया जाएगा.
इंदौर में चली दो दिवसीय बैठक के बाद संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आजादी के बाद लगातार किसानों का शोषण हुआ है, इसलिए किसान संघ लाभकारी मूल्य मांगता है. वर्तमान में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी छलावा है. एक तो इसकी गणना ठीक से नहीं होती और देश के केवल नौ फीसदी किसानों को ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है. सरकार ने 23 वस्तुओं का समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है, लेकिन एमएसपी पर केवल सात-आठ वस्तुओं की ही खरीदी होती है. फिर ऐसी योजना का क्या औचित्य है.”