पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, इलाज पशु चिकित्सकों के भरोसे!
राजस्थान की मशहूर सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत की वजह का अभी तक पता नहीं चला है। राजस्थान हाईकोई ने भी प्रवासी पक्षियों की मौत का संज्ञान लेते हुए वन और पर्यावरण विभाग से जवाब तलब किया है।
इस मामले ने देश-दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रवासी पक्षियों की मौत पर चिंता जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मृत पक्षियों के नमूनों को जांच के लिए भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीजेज (NHISAD) भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। कई दिन बीत जाने के बाद भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है।
राजस्थान के वन और पशुचिकित्सा विभाग के अधिकारी मामले को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मौके पर पहुंची जानी-मानी पर्यावरण पत्रकार बहार दत्ता ने वहां जो देखा, वह काफी हैरान करने वाला है। बहार दत्त ने ट्वीट किया कि सांभर झील में पक्षियों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। वन्यजीव समूह कहां हैं? यहां विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों और टॉक्सिकॉलजिस्ट की जरूरत है। जो डॉक्टर हैं वे मवेशियों का इलाज करते हैं। पर्यावरण से जुड़ी इतनी बड़ी घटना को लेकर यह स्थिति हैरान करने वाली है। स्थानीय लोग भी कई दिनों से पक्षियों की मौत के बावजूद वन विभाग के लापरवाह रवैया पर सवाल उठा रहे हैं।
Death toll continues to rise here in #SambharLake where are the wildlife groups ? They need avian experts wildlife vets and toxicologists @vivek4wild @Zakka_Jacob @deespeak @SachinPilot pic.twitter.com/Y46hBPeWJw
— Bahar Dutt (@bahardutt) November 14, 2019
बहार दत्त ने आगे ट्वीट किया है कि लोग दूर-दूर से पक्षियों को बचाने पहुंच रहे हैं। रेस्क्यू सेंटर में कई पक्षियों को इलाज़ देकर बचाया गया है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ भी पहुंच चुके हैं। लेकिन आसमान से बड़ी तादाद में मृत पक्षी कीड़े-मकोड़ों की तरह गिर रहे हैं।
Some birds survived and receive medicine and much needed attention at this makeshift rescue centre people have come from far off to volunteer so lovely ! #SambharLake #deadbirds pic.twitter.com/QvqXuXoQqb
— Bahar Dutt (@bahardutt) November 14, 2019
Wildlife institute is here , so is the forest department and some volunteers more help needed as birds are dropping like flies maybe the absence of media good it’s letting people do their job ?! #SambharLake tragedy pic.twitter.com/7NACZ6ls4i
— Bahar Dutt (@bahardutt) November 14, 2019
शुरुआत में पक्षियों की मौत का आंकड़ा सैकड़ों में बताया जा रहा था। लेकिन अब तक चार हजार से ज्यादा पक्षियों को दफनाए जाने की जानकारी मिली है। इतना बड़ा मामला वन विभाग और पशुचिकित्सा विभाग के भरोसे होने का एक प्रमाण यह भी है बुधवार को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और सलीम अली पक्षीविज्ञान केंद्र से विशेषज्ञों को बुलाने की बात कही थी। यानी राज्य में ऐसे विशेषज्ञों की कमी है।
खारेपन और जहरीले पानी का संदेह
मुख्यमंत्री गहलोत का कहना है कि इस साल भारी बारिश के कारण सांभर झील के आसपास कई वाटर बॉडिज बन गई है जिससे खारेपन का स्तर बढ़ गया। गहलोत ने पक्षियों की मौत रोकने के लिए हरसंभाव कदम उठाने का दावा किया है। जांच कर पता चलाने की कोशिश की जा रही है कि क्या पक्षियों की मौत पानी में खारापन बढ़ने से हुई या पानी के जहरीले होने से। संदेह है कि फैक्ट्री का जहरीला कैमिकल झील में पहुंचने से यह सब हुआ। पानी के सैंपल भी टेस्ट कराए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की कमी बड़ा सवाल
पक्षियों से जुड़े इस मामले में विशेषज्ञों की कमी बड़ा सवाल है। राजस्थान जैसा प्रदेश जहां कई नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हैं, पक्षियों की मौत की जांच के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। पूरा मामला मवेशियों के इलाज के अनुभवी डॉक्टरों और वन विभाग के फील्ड स्टाफ के भरोसे है।
करीब 200 वर्ग किलोमीटर में फैली सांभर झील में हर साल साइबेरिया, नॉर्थ एशिया और हिमालय से लाखों की तादाद में प्रवासी पक्षी आते हैं। इस साल पक्षियों के आने का सिलसिला जल्द शुरू होने को भी इनकी मौतों से जोड़कर देखा जा रहा है।
बीमारियां फैलने का खतरा
कम से कम 20-25 प्रजातियों के पक्षी मृत पाए गए हैं। इनमें नॉदर्न शावलर, पिनटेल, कॉनम टील, रूडी शेल डक, कॉमन कूट गेडवाल, रफ, ब्लैक हेडड गल, सेंड पाइपर, मार्श सेंड पाइपर, कॉमस सेंड पाइपर, वुड सेंड पाइपर पाइड ऐबोसिट, केंटिस प्लोवर, लिटिल रिंग्स प्लोवर, लेसर सेंड प्लोवर प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं।
कभी पक्षियों के लिए जन्नत मानी जाने वाली सांभर झील इस साल उनकी कब्रगाह बन गई है। जो पक्षी झील के अंदर मरे पड़े हैं, उनसे बीमारियां फैलना का खतरा है। इन्हें पानी से कैसे बाहर निकाला जाएगा, यह भी बड़ा सवाल है।