मुआवजे की मांग को लेकर बीमा कंपनियों और सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे किसान!

 

लंबे समय से खराब फसल के मुआवजे को लेकर आवाज उठा रहे किसानों का मुद्दा और गर्म होता दिख रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की हरियाणा इकाई ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए 17 जुलाई को प्रदेशभर में प्रदर्शन किया जाएगा. रोहतक में हुई एसकेएम, हरियाणा के किसान संगठनों के नेताओं की राज्य स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया है.

किसान नेताओं ने सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), किसानों के लिए कर्ज से मुक्ति सुनिश्चित करने की नीति सहित अपनी मांगों को उठाने के लिए आने वाले दिनों के लिए कार्यक्रम तय किये हैं. बैठक में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है जिसके तहत एसकेएम के सभी घटक 30 जुलाई को रोहतक में आंदोलन की अगली रणनीति तय करेंगे.

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा, “नीजी बीमा कंपनियों द्वारा फसलों का पंजीकरण स्वीकार नहीं करने के कारण प्रदेशभर में हजारों करोड़ रुपये के फसल नुकसान के बीमा दावे लंबित हैं. अकेले महेंद्रगढ़ जिले के लगभग 17,000 किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल के नुकसान का मुआवजा पाने के लिए पिछले कई महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. अन्य जिलों में भी यही स्थिति है.”

सिंह ने कहा, “यह एक विडंबना है कि संकटग्रस्त किसान अपनी फसलों के लिए बीमा कवर पाने के लिए भारी प्रीमियम का भुगतान करने के बावजूद मुआवजा पाने के अपने कानूनी अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार पीड़ित किसानों की मदद करने के बजाय डिफ़ॉल्टर कंपनियों को बचा रही है. उन्होंने कहा कि बैठक में इस मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई और एसकेएम के सभी घटक दलों के नेताओं ने तब तक निर्णायक अभियान चलाने का समर्थन किया जब तक कि हर किसान को मुआवजा नहीं मिल जाता।.

उन्होंने कहा कि बैठक में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर हमलों के मद्देनजर प्रमुख ट्रेड यूनियनों के सहयोग से 9 अगस्त को “कॉर्पोरेट का बहिष्कार करें – कृषि बचाएं” और 15 अगस्त को “लोकतंत्र बचाओ दिवस” ​​के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया.