AC में सूखे का पता ही नहीं चला? जानिए, कितने भीषण हैं हालत
जब तक फ्रीज में पानी की बोतलें भरी हैं और नल में पानी आ रही है, तब तक देश में सूखे का अहसास होना मुश्किल है। ठीक उसी तरह जैसे जब तक दिल्ली का दम स्मॉग में नहीं घुटने लगा, तब तक बहुत कम लोगों को वायु प्रदूषण की गंभीरता का अहसास था।
बहरहाल, देश के तकरीबन आधे हिस्से में सूखे के हालत हैं। इस स्थिति का अंदाजा तो मार्च-अप्रैल से ही होने लगा था, मगर तब पूरा देश चुनावी चर्चा में मशगूल था। अब मानसून का इंतजार करते-करते एक-एक दिन गुजर रहा है तो सूखे की तरफ ध्यान गया। हालांकि, देश में नए बने जल शक्ति मंत्रालय के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जल संकट की खबरों को “मीडिया हाइप” करार दे चुके हैं। फिर भी जान लीजिए, देश में सूखे की स्थिति कितनी गंभीर है।
- मौसम विभाग ने इस साल मानसून में सामान्य के मुकाबले 96 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया है। प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट का अनुमान और भी कम है। स्काईमेट के अनुसार, इस बार मानसून सीजन में 93 फीसदी बारिश होगी। यानी मानकर चलिए इस बार बहुत से इलाके बारिश के लिए तरस जाएंगे।
- पिछले पांच वर्षों में 2017 को छोड़कर हर साल मानसून में बारिश सामान्य से कम रही। लेकिन इस साल मानसून से पहले ही सूखे की मार पड़नी शुरू हो गई थी। बीते 1 मार्च से 31 मई के दौरान देश में सामान्य से 25 फीसदी कम यानी 99 मिलीमीटर हुई है। पिछले 65 वर्षों में यह दूसरा मौका है जब मानसून से पहले इतनी कम बारिश हुई और प्री-मानसून सूखे की स्थिति पैदा हो गई।
- आईआईटी, गांधीनगर की सूखा पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, देश का 44.41 फीसदी हिस्सा सूखे की स्थितियों का सामना कर रहा है जबकि पिछले साल इसी समय देश के 33.24 फीसदी हिस्से में सूखे के हालात थे। यानी पिछले साल के मुकाबले स्थिति काफी खराब है।
- इस साल मानसून देरी से पहुंचने के बाद बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। इस बीच, अरब सागर में उठे ‘वायु’ चक्रवात ने भी इसकी गति को बाधित किया है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि 20 जून के बाद मानसून जोर पकड़ेगा।
- इस मानसून सीजन में 1-19 जून के दौरान देश में सामान्य से 43 फीसदी कम बारिश हुई है। देश के 36 मौसम क्षेत्रों में से 30 क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश है जबकि केवल 6 मौसम क्षेत्रों में सामान्य या इससे अधिक बारिश हुई है। विदर्भ में सामान्य से 89 फीसदी, मराठवाडा में 75 फीसदी, पश्चिमी यूपी में 73 फीसदी, पूर्वी यूपी में 84 फीसदी और झारखंड में 71 फीसदी कम बारिश से सूखे के खतरे को समझा जा सकता है।
- महाराष्ट्र और कर्नाटक के ज्यादातर जिले सूखे के संकट से जूझ रहे हैं। 47 साल का सबसे भीषण सूखा झेल रहे महाराष्ट्र की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। पश्चिमी महाराष्ट्र के कई गांवों से लोग पलायन करने पर मजबूर हैं। कई जिलों में टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। राज्य के 35 बड़े बांध लगभग खाली हो चुके हैं, नदियां सूखी हैं और करीब 20 हजार गांव सूखे की चपेट में हैं।
- यूपी के बुंदेलखंड से भी सूखे के चलते लोग गांव छोड़नेे को मजबूूूर हैं। बिहार में लू लगने से 108 लोगों के मरने की पुष्टि खुद राज्य सरकार कर चुकी है। अकेले गया जिले में लू लगने से 33 लोगों की मौत हो चुकी है। भीषण गर्मी को देखते हुए बिहार के 6 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है।
- सूखे के इस संकट का सीधा संबंध बढ़ती गर्मी और मरुस्थलीकरण से है। इस साल पहली बार दिल्ली का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया, जबकि 50.8 डिग्री तापमान के साथ राजस्थान के चुरू में गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट गए।
- नीति आयोग की एक रिपोर्ट देश में भीषण जल संकट से आगाह करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद जैसे 21 महानगरों में भूजल समाप्त हो जाएगा और 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी पेयजल के लिए तरसेगी। फिलहाल, भारत में करीब 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं।
- नीति आयोग की आशंका चेन्नई में सच साबित होती दिख रही है। शहर में पानी की इतनी किल्लत है कि कई आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों को दफ्तर आने से मना कर घर से काम करने को कहा है। चेन्नई को जलापूर्ति करने वाले चार प्रमुख जलाशय लगभग सूख चुके हैं। शहर में हाहाकार मचा है। देश-विदेश का मीडिया चेन्नई के जल संकट को कवर कर रहा है।
- केंद्रीय भूजल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। दक्षिण और पश्चिमी भारत के जलाशयों में जलस्तर 10 साल के औसत यानी सामान्य स्तर से नीचे चला गया है। हालांकि, देश में कुल मिलाकर जलाशयों में जलस्तर पिछले साल से बेहतर है लेकिन देश के 91 में से 71 जलाशयों में पानी घट रहा है।
- देश के बड़े हिस्से में सूखे का असर सोयाबीन, कपास, धान और मक्का जैसी खरीफ फसलों की बुवाई पर भी पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 14 जून तक खरीफ की बुवाई पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी कम है। असिंचित क्षेत्रों में किसान खरीफ की बुवाई के लिए बारिश की आस लगाए बैठे हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे गन्ना उत्पादक राज्यों में सूखे की वजह से चीनी का उत्पादन 15 फीसदी घट सकता है। विदर्भ में संतरे के आधे से ज्यादा बगीचे सूखकर बर्बाद होने की खबरें आ रही हैं।