पंजाब में धान खरीद की धीमी चाल, सरकारें मस्त किसान बेहाल!

 

पंजाब के पटियाला जिले के वजीदपुर गांव के किसान सुखबीर सिंह पिछले दस दिन से बहुत परेशान हैं. उनके गांव के पास पड़ने वाली महमूदपुर दाना मंडी (अनाज मंडी) में उनके 7 एकड़ धान की फसल पड़ी हुई है, लेकिन कोई खरीद नहीं रहा. उन्हें उनकी फसल की खरीद न होने के कारण स्पष्ट तौर पर पता नहीं चल रहे, जिसके कारण वह असमंजस में हैं. उन्होंने मुझे बताया, “बड़ा दुखी कर रखा हूं अबकि बार. कोई आकर फसल में नमी बता देता है, तो कोई आकर कह देता है कि शेलर वाले के पास रखने की जगह नहीं है, तो कोई आकर कह देता है कि अबकि बार धान नहीं बिकेगा. मेरे जैसे किसानों ने 25 अक्टूबर को इस मंडी के सामने वाली पटियाला-संगरूर सड़क को भी जाम किया. अधिकारी आए, जाम खुलवाया और आश्वासन देकर चले गए. लेकिन अभी भी मेरा धान मंडी में ही पड़ा है.”

जिस तरह किसान सुखबीर सिंह असमंजस की स्थिति में हैं ठीक उसी तरह पंजाब में धान की खरीद को लेकर कई स्तरों पर स्थिति फिलहाल असमंजस में है. पंजाब में धान की खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हो गई थी, लेकिन शुरूआत से ही यह बहुत धीमी रही. धान खरीद की गति धीमी होने के कारण पंजाब की मंडियां किसानों के धान से लबालब भर गई थीं. किसानों को यह समझ आ गया था कि कोई तो गड़बड़ है. 15 दिन बीत जाने के बाद कई मंडियों में किसानों ने कई छूटमूट प्रदर्शन भी किए, लेकिन बात नहीं बनी. वजीदपुर गांव के ही किसान सतवंत सिंह ने मुझे बताया, “10 अक्टूबर के बाद कोई ऐसा दिन नहीं है जब धान खरीद के लिए किसानों ने आंदोलन न किया हो. पहले लोकल लेवल पर हो रहे थे और अब पिछले 10-12 दिनों से तो पूरे पंजाब के स्तर पर आंदोलन हो रहे हैं. किसानों ने 48 घंटे के लिए पंजाब के सभी टोल प्लाजे भी फ्री करवाकर देख लिए. अस्थायी तौर पर रोड भी जाम करके देख लिए, लेकिन बात नहीं बनी. अभी पंजाब के करीब 8 जगह पर इसके लिए पक्के मोर्चे (अनिश्चितकालीन आंदोलन) चल रहे हैं.”

दरअसल पंजाब में आई धान खरीद की इस समस्या के चार स्तर हैं, सरकार, शेलर मालिक, आढ़ति और किसान. पंजाब की खेतीबाड़ी तंत्र के जानकार रमनप्रीत सिंह ने मुझे बताया, “किसान धान लेकर मंडियों में धान लेकर पहुंच तो रहे हैं, लेकिन उनकी फसल का उठान नहीं हो रहा है. 12-13 अक्टूबर के बाद से तो पंजाब की मंडियों में पैर रखने तक की भी जगह नहीं बची है. इसका कारण है पिछले साल के चावल का स्टॉक. बीते साल का केवल 7 लाख मीट्रिक टन चावल ही पंजाब के गोदामों से केन्द्र ने उठाया है जबकि 120 लाख मीट्रिक टन चावल अभी भी गोदामों में पड़ा हुआ है. पंजाब सरकार का दावा है कि इस बार 185 लाख मीट्रिक टन धान आएगा. ऐसे में सवाल यह है कि पहले से भरे गोदामों में नया अनाज कहां रखा जाए, इसी वजह से किसानों के साथ-साथ आढ़तियों और शैलर मालिकों में भी असमंजस की स्थिति चल रही है.”

जो बात मुझे रमनप्रीत ने कही, वही बात संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपने एक प्रेसनोट में कही है. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, पिछले साल का अनाज (चावल 130 लाख मीट्रिक टन और गेहूं 50 लाख मीट्रिक टन) अभी भी पंजाब के गोदामों और शेडों में पड़ा हुआ है, दूसरी ओर, बाजारों में नई फसल की आवक शुरू हो गई है. किसान नेताओं का कहना है कि गोदामों से पिछले साल के धान की फसल का उठान 31 मार्च या ज्यादा से ज्यादा 31 मई तक हो सकता था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है.

पंजाब में विभिन्न खरीद एजेंसियां धान खरीदती हैं, जिनमें मुख्य रूप से केंद्र सरकार की संस्थाएं, इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम, पंजाब सरकार की खरीद एजेंसी पनग्रेन और मार्कफेड शामिल हैं. किसान फसल को मंडी में लाता है, और आढ़ती (कमीशन एजेंट) के माध्यम से खरीद एजेंसियां फसल खरीदती हैं. मंडी से फसल शैलरों में जाती है जहां उसे साफ करके संबंधित खरीद एजेंसी के गोदाम में भेज दिया जाता है. इसके एवज में शैलर मालिकों को प्रति क्विंटल दस रुपये मिलते हैं.

इसलिए यह मामला आढती और शैलर मालिकों से भी जुड़ा हुआ है. शैलर मालिकों का कहना है कि पंजाब में केंद्र सरकार के गोदाम अनाज से भरे हुए हैं, इसलिए नई फसल रखने की जगह नहीं है. ऐसा करने से शैलर मालिक मंडियों में पड़े धान को शैलरों तक नहीं ले जा रहे हैं. धान का उठाव नहीं होने से इसका असर खरीद व्यवस्था पर भी पड़ रहा है. आढ़ती एसोसिएशन भी अगस्त महीने से गोदामों में भरे अनाज को उठाने के लिए आवाज उठा रही है.

पंजाब के मालवा इलाके में खेतीबाड़ी पर काम करने वाले नवकिरण पत्ती ने तंत्र पर अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए मुझे बताया, “मंडियों में लगे धान के ढेर बिक तो इसलिए नहीं रहे, क्योंकि पिछले साल का धान शैलरों से नहीं उठाया गया है और इस साल का धान शैलरों में रखने के लिए जगह की समस्या है. खरीद करने वाली एजेंसियां धान में नमी अधिक होने का तर्क देकर धान खरीदने से बच रही हैं. खरीद के बाद उठान की समस्या के कारण आढतिया भी धान खरीदने से बच रहा है. मंडियों में धान की खरीद में दिक्कतों से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने की बजाय केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे के खिलाफ सिर्फ आरोप लगा रही हैं. दोनों में समन्वय की कमी भी साफ नजर आ रही है, जिसके कारण किसानों का एक बड़ा वर्ग एमएसपी से कम कीमत पर धान बेचने के लिए मजबूर हो रहा है. धान खरीद न होने के मामले में ‘आप’ और बीजेपी के नेता बहस तो कर रहे हैं, लेकिन किसानों की समस्या सुलझाने से दोनों बच रहे हैं, हालांकि इस मामले में मुख्य जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, लेकिन राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है क्योंकि पंजाब सरकार ने पिछले एक साल में इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष ईमानदारी से उठाने का प्रयास तक नहीं किया.”

किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, ”केंद्र जानबूझ कर पंजाब के भंडारों में अनाज नहीं उठा रहा है, जिसके कारण खरीद प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो पंजाब के किसानों के साथ-साथ मजदूरों, आढ़तियों और शैलर मालिकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.”

किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने इस समस्या को लेकर आज संगरूर में बड़रूख, मोगा में डाबरू, कपूरथला, फगवाड़ा, गुरदासपुर में सठियाली और बठिंडा के जस्सी चौक पर मेन हाइवे जाम किए थे. जिसके बाद पंजाब सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने इन संगठनों के किसान नेताओं के साथ फगवाड़ा में बैठक की.

इस बैठक में शामिल रहे किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने बताया, “सरकार ने स्वीकार किया है कि मंडियों में नमी की स्थिति ठीक होने के बाद भी धान कम दाम पर बेचा गया. फसल पर लगाए गए अवैध कट का मुआवजा सरकार लेगी. मुख्य मंडी बोर्ड ने हमसे कहा कि 140 लाख मीट्रिक टन धान के लिए 3850 शेलरों के साथ समझौता किया गया है और जिनमें से 2900 चालू हैं. सरकार की ओर से बताया गया कि 40 लाख मीट्रिक टन के उठान की व्यवस्था की जा रही है. इस मीटिंग में मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि आज तक पुराने स्टॉक में से 19 लाख मीट्रिक टन धान की लिफ्टिंग हो चुकी है.”

सुरजीत फूल ने आगे बताया, “आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 49 लाख टन धान आज मंडियों में पहुंच चुका है, जिसके कारण मंडियों में पैर रखने की जगह नहीं है. हमने धान के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ मुख्यमंत्री की बैठक में हुई बातचीत को सार्वजनिक करने की मांग भी रखी है. सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन के बाद संगठनों ने सड़कों पर लगाए गए जाम खोलने का फैसला किया है, लेकिन सड़क किनारे हमारा धरना जारी रहेगा और आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो फिर से किसान कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे.”

इस समय पंजाब में धान खरीद के लिए लगभग 60 जगहों पर आंदोलन हो रहे हैं. पंजाब सरकार के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पंजाब से केवल 19 लाख मीट्रिक टन अनाज लिया गया है जबकि अभी भी 124 लाख मीट्रिक टन चावल गोदामों में पड़ा हुआ है. पंजाब सरकार लगातार यह दावा भी कर रही है कि केंद्र ने आश्वासन दिया है कि यह सारा स्टॉक 31 मार्च 2025 तक उठा लिया जाएगा.

मामले की गंभीरता को देखते हुए आज 27 अक्टूबर को केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि सरकार धान का एक-एक दाना खरीदेगी और उन्हें समय पर भुगतान करेगी. उन्होंने कहा कि, “भंडार के लिए जगह की कमी के बारे में फैलाई जा रही गलत सूचनाओं पर ध्यान न दें. धान की खरीद या भंडारण को लेकर कोई संकट नहीं है और गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं. हमारे पास पर्याप्त जगह है और अधिक जगह बनाई जा रही है.”

जोशी ने बताया कि सरकार पंजाब से अनाज के उठान की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए एफसीआई सीएमडी के तहत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. आज तक पंजाब की मंडियों में 5436999.89 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है. हमारे पास आज भी 14 लाख मीट्रिक टन धान के लिए जगह उपलब्ध है, जो 1 नवंबर तक बढ़कर 16 लाख मीट्रिक टन हो जाएगी. वही इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार 185 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें लगभग 124 लाख मीट्रिक टन अकेला चावल ही है.