छोटी जोत के बावरिया समाज के किसानों तक नहीं पहुंच रही सरकारी योजनाएं
करनाल से करीबन 25 किलोमीटर दूर करनाल-मतलोडा रोड पर मुख्य सड़क से करीबन दो किलोमीटर अन्दर
बरसाती नहर के बराबर में बावरिया समाज के डेरे हैं। इस डेरे में बावरिया समाज के 10 से 12 परिवार रह रहे हैं।
बंटवारे के बाद पकिस्तान से भारत आये बावरिया समाज के बुजुर्गों ने यहां सरकारी जमीन किश्तों पर लेकर खेती करना शुरू किया था। लेकिन वक्त के साथ बावरिया परिवारों की आर्थिक स्थिति में कोई खासा सुधार नहीं हुआ। यहां रहने वाले सभी बावरिया परिवार छोटी जोत के किसान हैं।
विमुक्त घुमंतू जनजाति समूह में आने वाली बावरिया जनजाति के लोगों की मीडिया द्वारा एक नकारात्मक छवि गढ़ी गई है। मीडिया के इस रवैया पर बात करने पर सरवन बावरिया ने बताया कि हम ऐसा काम नहीं करते हैं। हम केवल खेत में मेहनत-मजदूरी कर के घर चला रहे हैं।
करीबन पचासेक साल के सरवन सिंह के पास केवल 4 कनाल 8 मर्ले जमीन हैं। परिवार में दो बेटे, पत्नी और बुजुर्ग माँ हैं।
सरवन बावरिया के परिवार पर मुसीबत का पहाड़ तब टूट पड़ा जब पिछले महीने गेंहू के सीजन के दौरान खेत में आग लगने से काफी नुकसान हो गया।
आग की वजह डेरे में रहने वाले छोटी जोत के बावरिया किसानों का भारी नुकसान हो गया। आग की वजह से लगभग 15 ट्राली का भूसा जल कर राख हो गया साथ ही सरवन सिंह के पड़ोसी किसान की 3 एकड़ में खड़ी भिन्डी की फसल भी नष्ट हो गई। आग की वजह से यहां छोटी जोत के किसानों का कईं लाखों का नुकसान हुआ है।
सरवन सिंह ने बताया आग लगने की घटना के एक दिन बाद तहसीलदार और दूसरे अफसर भी आये थे फोटो खींच कर ले गए। अफसरों ने आर्थिक मदद पहुंचाने का अश्ववासन दिया था लेकिन अब तक कुछ मदद नहीं मिली।
वहीं सरवन सिंह बावरिया ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना का लाभ लेने के लिये आवेदन किया था। इस योजना के तहत सरकार की ओर से छोटी जोत के किसानों को किश्तों में आर्थिक मदद करने का दावा किया गया है। छोटी जोत के किसानों को अब तक दस किश्तें मिल चुकी हैं लेकिन सरवन बावरिया के खाते में अब तक एक भी किश्त नहीं आई है।
इस मसले पर सरवन ने संबंधित विभाग में भी गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सभी कागजात की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी घुमंतू समाज से आने वाली बावरिया जनजाति के किसान प्रधानमंत्री किसान योजना से वंचित हैं।
वहीं करीबन 30 साल के राजू ने बतया कि हमारे डेरे में बिजली की बहुत बड़ी समस्या है आस पास के सभी डेरों में बिजली रहती है लेकिन हमारे 10-12 घरों में पूरे दिन में मुश्किल से 4-5 घंटे लाइट आती है। ऊपर से धान का सीजन है तो बिना बिजली के खेत में पानी कैसे देंगे।
वहीं 62 साल की करतार कौर ने भी अपनी समस्या बताते हुए कहा कि जनवरी में बुढ़ापा पेंशन का फॉर्म भरा था फॉर्म भरे हुए पांच महीने पूरे होने को हैं लेकिन अब तक पेंशन नहीं बंधी। वोटर कार्ड और आधार कार्डके अनुसार करतार कौर की उम्र 60 साल से ज्यादा हो चुकी है लेकिन अब तक उन्की बुढ़ापा पेंशन नहीं बन पाई है। करतार कौर के परिवार में उन्के पति और केवल एक बेटी है।
- Tags :
- dnt
- बावरिया किसान