देश में कहीं डूबी फसलें तो कहीं बुवाई के लिए पानी नहीं!

 

पिछले कई दिनों से उत्तर भारत में जारी भारी बारिश से कई राज्यों में बाढ़ के हालत पैदा हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जनजीवन प्रभावित हुआ है. मानसून और पश्चिम की तरफ से आने वाली ठंडी हवाओं के एक साथ आने के कारण उत्तर भारत के कई इलाकों में लगातार बारिश हो रही है. खेतों में पानी भरने से फसलों को भी नुकसान हो रहा हैं. किसानों पर मौसम की यह एक नई मार है.

वहीं दूसरी तरफ़ देश के गन्ना बहुल इलाकों में शुमार महाराष्ट्र में बारिश में कमी के चलते किसान बहुत परेशान है, सामान्य से भी कम बारिश होने की वजह से खरीफ फसलों की बुवाई का काम बुरी तरह प्रभाव‍ित हुआ है. महाराष्ट्र के अकोला में अब तक सिर्फ 12 फीसदी बुवाई हुई है और बुलढाणा जिले में सिर्फ 21 प्रतिशत का आंकड़ा ही सामने आया है.

जहां देश के विभिन्न हिस्सों में भरी बारिश हो रही है तो वहीं महाराष्ट्र में बारिश में कमी के चलते किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है. पहले रबी सीजन में बेमौसम बारिश के कारण उनकी फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. वहीं अब राज्य में खरीफ सीजन में बुवाई के लिए पर्याप्त बारिश ना होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. पश्चिम विदर्भ के किसानों का कहना है कि जुलाई महीने का दूसरा हफ़्ता बीत चुका है. लेकिन अभी तक अच्छी बारिश नहीं होने से बुवाई नहीं हो पा रही है. राज्य के कई ह‍िस्सों में सामान्य से कम बारिश होने से इस समय कई जिलों में खरीफ फसलों की बुवाई का काम ठप पड़ा है. जिस कारण किसान काफी परेशान हैं. खासकर अकोला और बुलढाणा जिले में बार‍िश की कमी से किसान बेहाल हैं.

किसान तक के अनुसार अकोला जिले के गजानन घोंगे बताते हैं कि इस साल बारिश में कमी के चलते समय पर बुवाई नहीं हो पा रही है. घोंगे बताते हैं अगर सही समय पर बुवाई नहीं हो पाएगी तो किसानो को इस साल के रबी सीजन की तरह ही खरीफ सीजन में भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. कई किसानों ने तो कर्ज लेकर खरीफ फसलों की बुवाई कि तैयारी की है. अगर समय से बारिश नहीं हुई और बुवाई में देरी हुई तो उत्पादन पर भी भरी असर पड़ेगा.

बढ़ रही किसानो की मुसीबत

मौसम विभाग और कृषि विभाग के मुताब‍िक बारिश में कमी के चलते अमरावती ड‍िवीजन के कई इलाकों में बुवाई रुकी हुई है. कृषि अधिकारियों का कहना है कि हम किसानों से अपील कर रहे हैं कि जब तक 100 एमएम के ऊपर बारिश नहीं हो जाती तब तक बुवाई न करें. वरना उनके सामने दोबारा बुवाई का संकट आ सकता है. किसानों के साथ-साथ खेतों में मजदूरी करने वाले भी परेशान हैं जिन्हे बुआई में देरी के चलते रोजगार नहीं मिल रहा है.

यदि हम अकेले अमरावती जिले की बात करे तो उसमे लगभग 6.5 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई होनी है. जबक‍ि महज इसके 39.1 क्षेत्र में ही बुवाई हो पायी है. वहीं अकोला में 4 लाख 60 हजार हेक्टेयर में से अब तक सिर्फ 11.9 प्रतिशत की बुवाई हुई है. और वाशिम जिले में स‍िर्फ 50.3 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई हुई है. बुलढाणा की बात करें तो वहां 20.9 प्रतिशत में ही खरीफ फसलों की बुवाई हुई है.

फसलों की बुवाई के लिए काफी क‍िसानों ने बैंक से कर्ज लिया है. ऐसे में अगर बुवाई नहीं हुई तो उन्हें भरी नुकसान उठाना पड़ेगा. वही अगर अब बारिश हो भी जाती है तो मूंग, उड़द और अरहर जैसी फसलों की बुवाई का समय लगभग निकल गया, बुवाई में देरी के चलते उत्पादन में काफी गिरावट आएगी. ऐसे में किसान बैंको का कर्ज और उधारी कैसे चुका पाएंगे. वहीं दूसरी तरफ मजदूरों का कहना है कि खेतो में काम नहीं मिलने से घर चला पाना मुश्किल होता जा रहा है.