बजट के इंतजार में डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा, लोगों ने खुद जुटाया चंदा
करनाल के घरौंडा में रेलवे अंडरपास के नजदीक तिराहे के बीचो-बीच लगी डॉ. अम्बेडकर की खंडित प्रतिमा पिछले दो महीने से हवा में लहराते तिरंगे की छाव तले नीले रंग की तिरपाल में लिपटी हुई खड़ी है। कुछ असामाजिक तत्वों ने सात फरवरी की रात को डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा को खंडित कर दिया था। घरौंडा पुलिस ने आईपीसी की धारा 295 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। प्रतिमा को टूटे हुए दो महीने से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अब तक पुलिस न तो दोषियों को पकड़ पाई और न ही प्रशासन ने अब तक नई प्रतिमा लगवाई गयी।
डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने के विरोध में स्थानीय लोगों ने धरना प्रदर्शन किया और हाइवे जाम करने की चेतावनी दी। लोगों की नाराजगी को देखते हुए एसडीएम ने नई प्रतिमा लगवाने का अश्वासन दिया। एक ओर डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सम्मान में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी (न्यूयार्क) की हर्बर्ट लेमन लाइब्रेरी में उनकी प्रतिमा लगी है और अम्बेडकर की आत्मकथा ‘वेटिंग फॉर ए वीजा’ भी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है तो वहीं दूसरी ओर भारत में डॉ. अम्बेडकर की मूर्तियों को खंडित करने के मामले सामने आते हैं।
घरौंडा में डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा के पास लगी पत्थर की बेंच पर बैठे दो दोस्तों में से दसवीं में पढ़ने वाले हिमांशु बताते हैं, “पिछले दो साल में यह दूसरी घटना है जब डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा तोड़ी गई है। पिछली बार जब प्रतिमा तोड़ी गई थी तो टूटा हुआ हिस्सा यही पड़ा मिला था। इस बार गुंडागर्दी करने वाले लोग प्रतिमा की बाजू तोड़कर ले गये।”
अम्बेडकर प्रतिमा से करीब 200 मीटर दूर एक छोटे से तिरपाल के तम्बू में मोची का काम करने वाले करीब 64 वर्षीय रोहताश ने बताया कि “कई लोग बाबा साहब की प्रतिमा और उनसे जुड़े हुए लोगों को देखना पसंद नहीं करते। उन्हें आगे बढ़ते नहीं देख सकते। वे समझते हैं कि बाबा साहब केवल एक ही समाज के थे। उनको समझना चाहिये कि बाबा साहब अम्बेडकर ने पूरी मानवता के लिए काम किया है।” रोहताश इससे पहले राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण अब वो मोची का काम कर रहे हैं। यह काम उन्होने अपने पिता से सीखा था। खंडित प्रतिमा के मसले पर ज्यादा पूछने पर रोहताश ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर युवा समिति के संरक्षक मलखान का फोन नंबर थमा दिया।
मलखान ने बताया कि 2019 से अब तक बाबा साहब की मूर्ति को खंडित करने की यह दूसरी घटना है। लेकिन एक बार भी पुलिस दोषियों को नहीं पकड़ पायी। मलखान ने बताया कि पिछली बार प्रतिमा तोड़ी गई थी तो लोगों के दबाव में अम्बेडकर प्रतिमा के पास सीसीटीवी कैमरे लगाये गए थे। प्रशासन और नगर पालिका के बेपरवाही के चलते सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े थे जिसके कारण 7 फरवरी की रात को मूर्ति तोड़ने की घटना कैमरों में कैद नहीं हो सकी।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर युवा समिति के अध्यक्ष जगदीश ने बताया कि इस बार हमने प्रशासन से पत्थर की बजाए धातु से बनी प्रतिमा लगवाने की मांग की थी, ताकि कोई शरारती तत्व फिर से प्रतिमा को खंडित न कर सके। शुरुआत में एसडीएम साहब ने हमें अश्वासन दिया कि जल्द से जल्द खंडित प्रतिमा के स्थान पर नई प्रतिमा लगवा दी जायेगी, लेकिन एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद जब दोबारा एसडीएम के पास गए तो उन्होने कहा कि धातु की प्रतिमा का बजट उनकी क्षमता से बाहर है। इसके लिए हमें करनाल उपायुक्त से मांग करनी होगी। इसके बाद जब हम डीसी साहब से मिले तो उन्होंने मामले को मुख्यमंत्री के सामने रखने की बात कही और इसके लिए 10 अप्रैल तक का वक्त दिया।
समिति के सदस्य और एक प्राइवेट बैंक में काम करने वाले रवि ने बताते हैं, “घरौंडा के आस-पास के करीब 108 गांवों में बाबा साहब की यह केवल एक ही प्रतिमा है, लेकिन कुछ लोगों की आंखों में यह भी चुभ रही है। एक ओर पीएम मोदी डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर के नाम पर बड़े-बड़े काम करने का दावा करते हैं वहीं दूसरी ओर उन्ही की पार्टी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने बाबा साहब की टूटी हुई प्रतिमा को बदलवाने के नाम पर हाथ खड़े कर दिये।”
घरौंडा की एक जूते की एक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर संदीप मानते हैं कि इस सरकार की केवल एक ही नीति है। किसी भी तरह गरीब और दलितों को परेशान करो। समिति के संरक्षक मलखान ने बताया, “मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 5 अप्रैल को करनाल दौरे पर आए तो जिला उपायुक्त ने सीएम के सामने हमारी मांग रखी थी, लेकिन प्रतिमा का बजट पास नहीं हुआ।” मलखान कहते हैं कि प्रशासनिक अधिकारी और सरकार उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं। एक ओर सरकार के पास करनाल में करोड़ों रुपये खर्च करके गेट बनाने का बजट है, लेकिन जब बात देश के महापुरुष की मूर्ति बनवाने की आती है तो सरकार का बजट कम पड़ जाता है। मलखान ने आगे बताया कि बाबा साहब की प्रतिमा खंडित हुए दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन कई बार के अश्ववासन के बाद भी सरकार और प्रशासन ने उनकी मांग स्वीकार नहीं की है।
मलखान ने घरौंडा से बीजेपी के विधायक हरविंदर कल्याण पर आरोप लगाते हुए कहा, “हमारे दलित समाज ने किसान आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया है। तब से सरकार के अधिकारी और नेता हमें निशाना बना रहे हैं। धातु की मूर्ति के लिए बजट पास न होने के पीछे भी ऐसी ही मानसिकता काम कर रही है। सरकार और प्रशासन के खोखले दावों से हताश होकर हम लोगों ने अपने समाज के लोगों से ही पैसा इकठ्ठा करना शुरू किया और अब हमने अलीगढ़ के एक कारीगर को धातु की प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दे दिया है। 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती से पहले खंडित प्रतिमा के स्थान पर धातु की नई प्रतिमा लगाएंगे और पूरे जोश और उल्लास के साथ बाबा साहब की जयंती मनाएंगे।”
वहीं घरौंडा नगरपालिका के सचिव रवि प्रकाश ने सफाई देते हुए कहा, “हमने समिति के सदस्यों को मैटल की मूर्ति लगाने का आश्वासन नहीं दिया था। नगरपालिका कर्मचारी पत्थर की नई प्रतिमा लगाने गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने पत्थर की मूर्ति लगाने से मना कर दिया। वो लोग धातु की प्रतिमा लगाने की मांग कर रहे हैं और धातु की मूर्ति लगाने के लिए हम सक्षम नहीं हैं।”