लखीमपुर हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को फटकार, कहा- जांच से संतुष्ट नहीं!

 

3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुए हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर सरकार का पक्ष जानते हुए सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी की घटना पर यूपी पुलिस की जांच से नराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम यूपी सरकार की जांच से संतुष्ट नहीं हैं. चीफ जस्टिस एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने लखीमपुर मामले में केस दर्ज करने, घटना में शामिल दोषियों को सजा देने की मांग को लेकर सुनवाई की.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता हरिश साल्वे पेश हुए. साल्वे ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि मुख्य आरोपी आशिष मिश्रा को कल 11 बजे तक पेश होने के लिए नोटिस भेजा गया है. साल्वे ने आरोप स्वीकार हुए कहा “मुझे बताया गया था कि पोस्टमार्टम में गोली के घाव नहीं दिखे हैं. इसलिए 160 सीआरपीसी के तहत नोटिस भेजा गया था. लेकिन जिस तरह से कार चलाई गई, आरोप सही हैं और 302 का मामला दर्ज किया गया है.”

इसके जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, “अगर कोई बुलेट इंजरी नहीं है तो भी यह गंभीर अपराध नहीं है क्या?”

चीफ जस्टिस ने यूपी सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि हत्या के मामले में आरोपी से अलग व्यवहार क्यों हो रहा है? हम एक जिम्मेदार सरकार और जिम्मेदार पुलिस देखना चाहते हैं. सीजेआई ने कहा कि अगर 302 यानी हत्या का मामला दर्ज होता है तो ऐसे हालात में पुलिस क्या करती है? सीजेआई ने पूछा कि मामले की जांच सीबीआई से करने के बारे में क्या सरकार या किसी और कि ओर से कहा गया है?

चीफ जस्टिस ने आदेश में कहा,”उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेट्स रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है राज्य सरकार ने जो एक्शन लिया है इस मामले में उससे हम संतृष्ट नहीं.” साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को मामले से जुड़े सभी सबूत सुरक्षित रखने को कहा.