किसानों के लिये टमाटर का भाव 2 रुपये किलो, सड़क पर फेंकने को मजबूर!

 

टमाटर जो दाम बढ़ने के कारण महीने पहले लोगों की रसोई से गायब हो चुका था, अब इतना सस्ता हो गया है कि किसान खेत से मंडी ले जाने का भी खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं और टमाटर सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. महंगाई में उछाल के चलते महीने पहले कुछ मंडियो में लगभग ₹8000 प्रति क्विंट बिकने वाला टमाटर आज ₹200-300 प्रति क्विंटल तक बिक रहा है.

जून में लगभग ₹30 प्रति किलोग्राम से बिकने वाले टमाटर की कीमतें जुलाई में आते आते तीन गुना बढ़कर ₹109 प्रति किलोग्राम हो गईं थी. जिसके चलते उपभोक्ता मुद्रास्फीति में 7.44% की बढ़ोतरी हुई, जो 15 महीने का उच्चतम स्तर रहा. वहीं सब्जियों की कीमतों में कमी के कारण अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6.83% रह गई. हिंदुस्तान टाइम्स में छपि रिपोर्ट में सामने आया कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 12 सितंबर को पुणे में टमाटर की न्यूनतम थोक दर ₹200 प्रति क्विंटल (100 किलोग्राम) या ₹2 प्रति किलोग्राम थी. हैदराबाद में न्यूनतम दर ₹400 प्रति क्विंटल यानी 4 रुपये प्रतिकिलो, जबकि मुंबई में, किसान इसे ₹800 प्रति क्विंटल पर बेच रहे थे.

वहीं आज की तारीख में उचित दाम नहीं मिलके के कारण महाराष्ट्र के औरंगाबाद और लातूर में किसान अपनी टमाटर की उपज सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. वहीं रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि जैसे-जैसे टमाटर का रेट बढ़ा, किसानों ने बड़े पैमाने पर टमाटर की बुआई की, महाराष्ट्र में टमाटर की खेती का रकबा 3% बढ़कर लगभग 37000 हेक्टेयर हो गया.

तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री डी नरसिम्हन का कहना है कि बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देकर इसके असली समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है. वहीं नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल के एक पेपर में कहा गया है कि टमाटर के दामों में इतने बड़े स्तर तक उतार चढ़ाव का कारण, इस फसल का जल्दी खराब होना, कम समय की फसल और लंबे समय तक उपज को स्टोर करने के संसाधनों की कमी और कुछ राज्यों में उत्पादन पर जोर शामिल हैं.