उत्तर प्रदेश: बदायूं में अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर दो किसानों ने की आत्महत्या
न्याय की उम्मीद में यूपी के बदायूं जिले के दो किसानों की हिम्मत ने उस समय जवाब दे दिया जब वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गए, लेकिन उनकी समस्या का कोई हल न निकला.
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिल्सी तहसील क्षेत्र के गांव सिरासौल के रहने वाले 52 वर्षीय किसान भगवान दास ने शनिवार को अपने घर के अंदर फंदे से लटक कर अपनी जान दे दी. यह पूरा मामला जमीन की चकबंदी से जुड़ा हुआ है. दरअसल भगवान दास की डेढ़ बीघा जमीन चकबंदी में जा रही थी, जिसको लेकर वह लंबे समय से परेशान चल रहे थे. उन्होंने अपनी जमीन बचाने के लिए लेखपाल के यहां कई चक्कर भी काटे लेकिन उनकी समस्या का कोई हल नहीं निकला. अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, परिवार ने आरोप लगाया है कि भगवानदास सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुका था, जिसके चलते शनिवार सुबह उसने आत्महत्या कर ली.
वही दूसरा मामला बदायूं जिले के ही गांव नगला शर्की के 71 वर्षीय किसान रूम सिंह के साथ हुई धोखाधड़ी से जुड़ा है. जिसने सदर तहसील के कार्यालय में शुक्रवार 23 जून को जहर खाकर अपनी जान दे दी थी। किसान ने मरने से पहले एक चिठ्ठी भी छोड़ी जिसमें उसने राजस्व विभाग के दो अधिकारियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगते हुए लिखा कि उसकी जमीन के एक टुकड़े को अधिकारियों ने घूस लेकर, एकता वर्णन नाम के किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर कर दिया है. शिकायत के बाद लेखपाल कुलदीप भारद्वाज और तहसीलदार आशीष सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुस्साए परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने शुक्रवार को जवाहरपुर पुलिस चौकी पर धरना भी दिया, जिसके बाद तीनों लोगों पर IPC की धारा 167 (लोक सेवक द्वारा नुकसान पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करना) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है और लेखपाल भारद्वाज को निलंबित कर दिया गया है.
मरने वाले किसान के बेटे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है, ‘मेरे पिता ने 1 जून 2016 को परिवार की सदस्य मुन्नी देवी और उनके बेटे कुलदीप राठौड़ के साथ जमीन के एक टुकड़े के लिए इकरारनामे पर हस्ताक्षर किया था. इस इकरारनामे के आधार पर 7 मार्च 2017 को एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया गया था और जमीन मेरे पिता के नाम पर कर दी गई थी, जिसे हमने राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में भी दर्ज करा दिया था.”
उन्होंने आगे कहा, ‘करीब छह साल बाद लेखपाल कुलदीप भारद्वाज और तहसीलदार आशीष सक्सेना ने रिश्वत लेकर जमीन को एकता वर्णन और उनके नाबालिग बच्चे के नाम कर दी. जब मेरे पिता को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने कई बार अधिकारियों से बात की, लेकिन उन्होंने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. किसान ने अपनी समयस्या को लेकर महीनों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे और आख़िर में कुछ हल न होने के कारण मौत को गले लगा लिया, उत्तर प्रदेश में घूस खोरी, रिश्वत और ज़बरन भूमि कब्ज़ाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई ऐसे मामले देखने को मिल चुके हैं.
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