समझिये, रोजमर्रा की वस्तुओं पर लगे GST का खेल!

 

जीएसटी की नई दरें लागू हो गई हैं. पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई GST काउंसिल की बैठक में जीएसटी दरें बढ़ाने और नईं वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला लिया गया था जिसके चलते हर रोज प्रयोग में आने वाली वस्तुएं और खाद्य पदार्थ मंहगे हो गए हैं. खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतें लागू हो चुकी हैं. मंहगे होने वाले पदार्थों में दूध, दही, लस्सी, पनीर, आटा और चावल समेत कईं जरुरत की चीजें शामिल हैं. दरअसल ये खाद्य पदार्थ पहले जीएसटी के दायरे से बाहर थे लेकिन सरकार ने अब इन जरूरी चीजों पर भी पांच फीसदी जीएसटी यानि माल एवं सेवा कर लगा दिया है जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ने जा रहा है.

भारत के इतिहास में 18 जुलाई का दिन आम आदमी के उपयोग में आने वाले नॉन ब्रांडेड सामान जैसे आटा, चावल, दूध, दही, लस्सी जैसी वस्तुओं पर टैक्स लगाये जाने के लिए याद रखा जाएगा. आजादी के सात दशक बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब बिना ब्रांड वाले लोकल खाद्य पदार्थों पर भी GST वसूला जाएगा. दरअसल अब तक खाद्य पदार्थों में दो श्रेणियां थीं, एक ब्रांडेड और दूसरी नॉन ब्रांडेड. पैकेट बंद ब्रांडेड खाद्य वस्तुओं जैसे आटा, मैदा, सूजी, दाल, चावल, गेहूं आदि पर पांच फीसदी GST पहले से लागू था लेकिन सरकार ने अब इसमें बदलाव करते हुए नॉन ब्रांडेड प्रोडक्ट्स पर भी GST लगा दिया है.

ब्रांडेड प्रोडक्ट्स का मतलब है जिसपर उस प्रोडक्ट के नाम का लेबल लगा है और वह ट्रेडमार्क में रजिस्टर्ड हो, लेकिन अब नये नियमों के तहत रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क की अनिवार्यता को ही खत्म कर दिया गया है यानि अब अगर कोई खाद्य पदार्थ पैकिंग में है और उस पर किसी भी तरह की पहचान का लेबल है तो उस पर सीधे पांच फीसदी GST देना होगा. अभी तक केवल रजिस्टर्ड ब्रांड पर ही 5% GST लगता था लेकिन अब सब पर GST देना होगा. नये नियमों के अनुसार प्री-पैकेज्ड वह है जिसमें पैकेज सील्ड हो या अनसील्ड, दोनों ही प्री-पैकेज्ड माने जाएंगे बशर्ते वह सामान एक निर्धारित मात्रा में पैक किए गए हों.

GST अधिनियम के नये नियम के अनुसार रिटेल व होलसेल दोनों प्रकार के पैकेज पर लेबल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.यहां लेबल्ड का मतलब है किसी पैकेज पर लिखित, प्रिंटेड, ग्राफिक , स्टांप या मार्का लगा होना. अनब्रांडेड आइटम खुले में यानि बिना पैकिंग बेच रहे हैं तो अब उस पर भी GST देना होगा इसके अलावा कोई आइटम सिंपल पैकिंग में बिना किसी लेबल मार्का के बेचते हैं तो भी 5 फीसदी GST देना होग. वहीं पैकेट बनाकर उस पर लेबल लगाकर संस्था का नाम लिखकर बेच रहे हैं तो उसपर भी 5 फीसदी GST देना होगा.

जो लोग अनब्रांडेड सामान उपयोग में लाते हैं यानि जो लोग लोकल प्रोडक्ट ही खरीदते हैं जिसपर लोकल कारोबारियों का अपना मार्का लगा होता है अब यह सारा सामान लोगों को महंगा मिलेगा, क्योंकि अब लेबल या मार्का लगाने की वजह से यह सामान GST के दायरे में आ जायेगा. कुल मिलाकर कोई भी खाद्य पदार्थ जो किसी भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट, फैक्ट्र या फ्लोर मिल में प्रोसेस होकर बाजार में आ रहा उस पर जीएसटी देना होगा.वहीं साथ ही खुले में बिकने वाले दूध, दही, लस्सी, पनीर, शहद, मक्खन सूखे दाल-दलहन, सूखी हल्दी  अन्य मसालों और गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा समेत सभी प्रकार के अनाज और आटा-चावल जैसे खाद्य पदार्थों पर भी 5 फीसदी GST लागू हो गया है.

वहीं प्रिंटिंग/राइटिंग या ड्रॉइंग इंक, एलईडी लाइट्स, एलईडी लैम्प पर 12 फीसद की जगह 18 फीसद जीएसटी देना होगा साथ ही मैप, एटलस और ग्लोब पर 12 फीसद जीएसटी लगा दिया गया है.

ब्लेड, चाकू, पेंसिल शार्पनर, चम्मच, कांटे वाले चम्मच, स्किमर्स आदि पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है.   

साथ ही होटल में रुकना और अस्पताल में ईलाज करवाना भी मंहगा हो गया है. अस्पताल में 5 हजार रुपए प्रतिदिन से अधिक का रूम पर 5% की दर से जीएसटी देना होगा. उदाहरण के तौर पर 5500 रुपये के रूम के लिए अब 5775 रुपये देने होंगे वहीं आईसीयू, आईसीसीयू रूम पर छूट जारी रहेगी. वहीं अब तक एक हजार से कम के होटल रूम पर GST नहीं लगता था, लेकिन अब एक हजार से कम किराये वाले रूम में रुकने के लिए भी 12% की दर से GST देना होगा.