एमपी में यूरिया के लिए मारामारी, थाने से मिल रहे हैं टोकन
मध्य प्रदेश की जिस चंबल नदी के नाम पर देश की प्रमुख फर्टीलाइजर कंपनी का नाम पड़ा, उसी राज्य में यूरिया के लिए ऐसी मारामारी मची है कि किसानों को पुलिस थाने से टोकन बांटे जा रहे हैं। यूरिया के लिए पुलिस के डंडे खाते किसानों का एक वीडियो भी सामने आया है।
रबी की बुवाई के दौरान यूरिया की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एक-दो बोरी यूरिया के लिए भी किसानों को सुबह 4-5 बजे से लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। इसके बावजूद मुश्किल से 2-4 बोरी यूरिया मिल पा रहा है। यह सब उस सरकार कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हो रहा है जो किसानों के मुद्दों पर सत्ता में आई है।
भोपाल में यूरिया के लिए डंडे खाते किसान l इन पुलिस वालों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए@OfficeOfKNath @brajeshabpnews @ChouhanShivraj @ramanmann1974 @KedarSirohi @ZeeMPCG @JM_Scindia @yuva_kartikey pic.twitter.com/XwuGfUWvJ1
— SanJay JAt.. (@sanJayJAt20) November 26, 2019
यूरिया की किल्लत के चलते हरदा, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, गुना, सागर, नीमच समेत कई जिलों से कालाबाजारी की खबरें भी आने लगी हैं। कहीं 267 रुपये में मिलने वाली यूरिया की बोरी 350-400 रुपये में मिल रही है तो कहीं किसानों को यूरिया के साथ 1,200 रुपये की डीएपी की बोरी लेने को मजबूर किया जा रहा है। राज्य सरकार और कृषि विभाग की ओर से पर्याप्त यूरिया होने के दावे तो जरूर किए जा रहे हैं मगर जमीन हालात अलग हैं।
कृषकों से अपील की जाती है कि प्रथम सिंचाई के समय लगने वाले यूरिया की मात्रा अनुसार यूरिया का उठाव अभी कर लें। आगामी सप्ताह तक लगने वाली यूरिया रैक से द्वितीय सिंचाई के समय पुनः टाप ड्रेसिंग हेतु पर्याप्त मात्रा में यूरिया की उलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी।
#JansamparkMP pic.twitter.com/SefuOOKAiv— Collector Sehore (@CollectorSehore) November 28, 2019
इस यूरिया संकट के लिए मांग के अनुरुप आपूर्ति न होने को वजह माना जा रहा है। कई जिलों में अभी तक जरूरत के मुकाबले 50-60 फीसदी यूरिया ही पहुंचा है। जिसके चलते रबी की बुवाई में देरी हो रही है और बुवाई कर चुके किसानों को दुकानदारों से महंगा यूरिया खरीदना पड़ रहा है। इस साल अच्छी बारिश और गेहूं का रकबा बढ़ने की वजह से यूरिया की मांग बढ़ी है। इससे भी यूरिया की किल्लत बढ़ी है।
मध्यप्रदेश में यूरिया संकट, इन्दोर मन्डी में सुबह 6 बजे से लाइन मे लगे किसान ।#किसान #farmer pic.twitter.com/iBG80AmUwF
— Bhagwan Meena (@bhagwanmeena53) November 28, 2019
पिछले साल भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में यूरिया को लेकर इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने तत्कालीन भाजपा सरकारों को इस मुद्दे पर खूब घेरा था। अब सरकारें बदल चुकी हैं लेकिन हालत नहीं बदले।
रबी बुवाई के दौरान यूरिया संकट को लेकर किसान संगठनों ने कमलनाथ सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। आम किसान यूनियन के समस्या का समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
@OfficeOfKNath @SYadavMLA
सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में यूरिया उर्वरक का संकट चल रहा है
और सरकार इससे बेफिक्र क्यो नजर आ रही है
गांव किसान की बेटियों को भी यूरिया के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है
क्या सरकार को ये सब नही दिख रहा है या देखना नही चाह रही है ?@_YogendraYadav @anandrai177 pic.twitter.com/WhSIc06ivz— Ram inaniya (@InaniyaRam) November 28, 2019
भाजपा का किसान मोर्चा राज्य सरकार को इस मुद्दे पर घेरने में जुटा है तो मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार सिरोही ने भी कृषि विभाग पर सवाल खड़े किए हैं। सिरोही का कहना है कि एमपी में यूरिया की किल्लत होती तो 400 रुपये में यूरिया कैसे मिल पा रहा है। यानी कृषि विभाग की नीयत और मैनेजमेंट ठीक नहीं है। विभाग को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। यूरिया की लाइनें खत्म होनी चाहिए।
@mpkrishi
MP में यूरिया की कमी होती तो 400 रु में जितना चाहो उतना क्यो मिलता?
मतलब साफ है कि विभाग का मैनेजमेंट और नियत ठीक नही है।
विभाग को accountability लेनी होगी एवम आगे लाइन पद्धति को खत्म कर किसानों को होम डिलीवरी पर कार्य करना होगा।@SYadavMLA @digvijaya_28 @OfficeOfKNath— Kedar Shankar Sirohi (@KedarSirohi) November 28, 2019
इस यूरिया संकट के पीछे सरकार की बदइंतजामी के अलावा यूरिया की किल्लत के बहाने डीएपी बेचने की फर्टिलाइजर कंपनियों और डीलरों की कारगुजारी का भी बड़ा हाथ माना जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में कालाबाजारी करने वाले कई खाद विक्रेताओं पर छापेमारी हुई है।