सुष्मिता
मौसम की मार, बेपरवाह सरकार और महुए के फूलने का अंतहीन इंतजार…
यह मानसून भी आया और चला गया। बीते सौ साल में ऐसा सूखा अगस्त किसी ने नहीं देखा था। अपना पेट पालने के लिए जंगल के भरोसे जीने वाले झारखंड के आदिवासी बड़ी उम्मीद से थे कि अबकी तो पानी बरसेगा ही- पिछले साल यहां सूखा जो पड़ा था! बिना बरसे ही मौसम ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
Oct 14, 2023