देविंदर शर्मा

कॉर्पोरेट टैक्स छूट से अमीरों को ही रेवड़ियां!

भारत में जहां इन दिनों ‘रेवड़ी संस्कृति’ को लेकर बहुत चर्चा चली हुई है और अधिकांश अखबारों में किसान सहित गरीब तबके को मुफ्त की सुविधाओं या वस्तुएं देने के खिलाफ लेख आ रहे हैं वहीं कॉर्पोरेट्स जगत की भारी-भरकम कर्ज माफी, जो किसी भी तरह खाए-अघाए अमीरों को मिठाई देने से कम नहीं है, पर कोई चर्चा नहीं हो रही.

Sep 6, 2022

शहरों में सस्ते मजदूर बनाने वाले त्रुटिपूर्ण अर्थशास्त्र से इतर खेतीबाड़ी के पुनर्निर्माण और भविष्य के विकास का रास्ता

शहरों में सस्ते श्रम के लिए लोगों को कृषि से बाहर धकेलना त्रुटिपूर्ण अर्थशास्त्र है। अगले 25 वर्षों में, कृषि के पुनर्निर्माण का समय आ गया है, इसे आर्थिक विकास के पावरहाउस में बदलने की जरूरत है।

Aug 13, 2022

बाजार के खेल से गहराता खाद्यान्न संकट

जहां दुनिया में करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को विवश हैं, वहीं सट्टेबाजी ने कृषि-उत्पाद कंपनियों को भारी मुनाफा दिलवाया है। वैश्विक खाद्य उत्पाद में कोई कमी नहीं आई फिर भी खाद्य मूल्य ऊंचे बने हुए हैं। तमाम बड़ी खाद्य कंपनियां जमकर मुनाफा कमा रही हैं।

May 17, 2022

हमें जीएम सरसों की जरूरत ही क्‍या है?

जेनेटिक तौर पर संवर्धित (जीएम) सरसों को व्‍यवसायिक मंजूरी देने का मामला टालेे जाने के 13 साल बाद यह जिन्‍न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार जीएम सरसों सरकारी भेष में व्‍यवसायिक खेती की मंंजूरी के लिए आई है।

Sep 6, 2016