मुख्यमठी

 

एक मूडी शख्स ने बचपन चय्याशी की नज़्र कर दी. बड़ा हुआ शादी हुई पर भाग खड़ा हुआ. उस महिला का जीवन कितना दर्दनाक होगा जिसे जन्म जन्म के बंधन में बांध दिया गया और एक भी जन्म का साथ और सुख नहीं दिया गया . कयामत से कम नहीं कि उसे तलाक़ भी मयस्सर न हुई कि वो अपनी नई ज़िंदगी शुरू कर सके…


पांच जून 1972 को अजय सिंह बिष्ट का जन्म उत्तराखंड में हुआ. वो भाग्य का धनी था उसने 5 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा पायी. इस मठ को कुमारिल भट्ट के उसी आंदोलन से जोड़ कर देखा जाना चाहिए जो सनातन कर्मकांड के खिलाफ मूवमेंट खड़ा करने वाले गौतम बुद्ध के भिक्षुओं को कुचलने के लिए चलाई गयी थी. अयोध्या बौद्ध और जैन का केंद्र था. जिस नरक (ब्रह्मणवाद) से गौतम बुद्ध ने भारत को निकालने की कोशिश की थी उसी नरक में दोबारा उसे ठेल दिया गया.

बिष्ट को जो मिला क़िस्मत से मिला. बिष्ट की क्वालिफिकेशन जानने की क़तई ज़रूरत नहीं. धर्म, अंधों के ज़रिए, अंधों के लिए और अंधों का होता है. कभी धार्मिक गुरु बड़े विद्वान हुआ करते थे लेकिन अब सिर्फ दूसरी कम्युनिटी (फ़र्ज़ी दुश्मन) के खिलाफ हद दर्जा नफरती होना काफी है… वरना आप ही सोचो कि बाल बिष्ट का उच्चारण तक ठीक नहीं है मगर वो छत्रिय होने के बावजूद मठाधीश है तो है.
मठाधीश ही की तरह राजनीति भी उसे क़िस्मत से मिल गयी. गोरखपुर सीट से उसके गुरु संसद चुने जाते रहे हैं और गुरु ने शिष्य को राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. दुनिया के किसी धर्म में चुनाव नहीं होता जो थोड़ा बहुत था उसे भी ख़त्म कर दिया गया है. 

राजनीतिक संघर्ष में कभी बिष्ट किसी पॉलिसी पर बात करते हुए नहीं सुने गए कि उनकी बुद्धिमत्ता और नेता वाली सूझ बूझ का पता चल सके।  उनके लिए सबसे अहम मुद्दा हिन्दू-मुस्लिम रहा है. वो दिन दूनी रत चौगनी इसी में लगे रहे और धीरे धीरे हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता बन गए. राजनीति में लम्बी पारी खेलने के लिए उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी जिस पर गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर से लेकर मऊ, आज़मगढ़ तक मुसलमानों पर हमले और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज हैं.ये वही संगठन है जिसने कुशीनगर और महराजगंज के इलाकों में मुस्लिम लड़कियों का हिंदूकरण जम कर किया। संगठन और उसके आकाओं को कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि सामने वाले पर क्या बीतेगी? हिंदुत्व के संरक्षण में संगठन ये काम निष्ठावान करता है। ये आरएसएस की तरह पुरखों (अतीत) में गौरव ढूंडने में लगा हुआ है। ये आज पर भविष्य की बुनियाद रखने में यकीन नहीं रखता। 
अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्य नाथ के कुछ बयानों पर एक नज़र डालिए…
जून 2016: “जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने से कोई नहीं रोक सका तो मंदिर बनाने से कौन रोकेगा.”
अक्टूबर 2016: “मूर्ति विसर्जन से होने वाला प्रदूषण दिखता है लेकिन बकरीद के दिन हज़ारों निरीह पशु काटे गए काशी में, उनका ख़ून सीधे गंगा जी में बहा है क्या वो प्रदूषण नहीं था?”
अक्टूबर 2015: दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा – “यूपी कैबिनेट के मंत्री आजम ख़ान ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए. आज ही मैंने पढ़ा कि अख़लाक़ पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उसकी गतिविधियां बदल गई थीं. क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था? आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है.”
जून 2015: “जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए. जो लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए.”
अगस्त 2015: “मुस्लिमों की जनसंख्या तेजी से बढ़ना खतरनाक रुझान है, यह एक चिंता का विषय है, इस पर केंद्र सरकार को कदम उठाते हुए मुसलमानों की आबादी को कम करने की कोशिश करनी चाहिए.”
फरवरी 2015: “अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे. आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे. पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे. मक्का में ग़ैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वैटिकन में ग़ैर ईसाई नहीं जा सकता है. हमारे यहां हर कोई आ सकता है.”
अगस्त 2014: लव जेहाद’ को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था. इसमें वे अपने समर्थकों से कहते सुनाई दे रहे थे कि हमने फैसला किया है कि अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे. बाद में योगी ने वीडियो के बारे में कहा कि मैं इस मुद्दे पर कोई सफ़ाई नहीं देना चाहता.*बीबीसी हिंदी

1999 में महराजगंज के पचरुखिया में क़ब्रिस्तान और श्मशान की ज़मीन को लेकर होने वाले विवाद में फायरिंग के दौरान एक गार्ड और पुलिस कांस्टेबल की मौत हो गई है. इस मामले में बिष्ट के खिलाफ केस दर्ज हुआ।  

जनवरी 2007 में एक युवक की हत्या के बाद हिन्दू युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं द्वारा सैयद मुराद अली शाह की मज़ार में आग लगाने की घटना के बाद हालात बिगड़ गए और प्रशासन को कर्फ़्यू लगाना पड़ा. रोक के बावजूद योगी द्वारा सभा करने और उत्तेजक भाषण देने के कारण उन्हें 28 जनवरी 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया. क़ाबिले ज़िक्र है कि उनको गिरफ़्तार करने वाले डीएम और एसपी को दो दिन बाद ही मुलायम सरकार ने सस्पेंड कर दिया. 
कुशीनगर ज़िले में साल 2002 में मोहन मुंडेरा कांड हुआ, जिसमें एक लड़की के साथ कथित बलात्कार की घटना को मुद्दा बनाकर गांव के 47 अल्पसंख्यकों के घर में आग लगा दी गई. ऐसी घटनाओं की एक लंबी फ़ेहरिस्त है लेकिन किसी में बिष्ट के ख़िलाफ़ न तो रिपोर्ट दर्ज हुई, न उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई.

प्रदेश में बसपा, सपा की सरकार रहते हुए भी उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि कोई भी न्याय नहीं करना चाहता बल्कि सब एक हथियार या मौके की तरह से योगी जैसे लोगों का इस्तेमाल इलेक्शन में करते रहते हैं। इस तरह आसानी ये रहती है कि लोग डर कर वोट करते हैं और कोई सवाल भी नहीं पूछता कि पिछले पांच सालों में तुम ने क्या किया है? इन दल्ले दलों को दलदल में समाधि देकर नयी कश्ती, नयी आंधी और नया तूफान पैदा करने की ज़रूरत है. 

दलाल मौलवी और मुल्लों को ख़बरदार किया जाता है कि वो रोज़ी रोटी के लिए कोई और काम ढूंढ लें वरना  जो वो करेंगे ۔۔۔खुद ही भरेंगे. 
लखनऊ में आयोजित सातवें कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन इंडिया रीजन कॉन्फ्रेंस के सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रोग्राम रंग-ए-इश्क़ के दौरान म्यूज़िक अचानक बंद करके कव्वाली पर परफ़ॉर्म करने से रोक दिया गया. अधिकारियों ने बोलना शुरू कर दिया कि यहां कव्वाली नहीं चलेगी. ये सरकारी कार्यक्रम है. ये और बात है कि आर्टिस्ट मंजरी चतुर्वेदी ने स्टेज से ही पुर ज़ोर कहा कि ये उनके ये प्रोग्राम का हिस्सा है और वो गंगा जमुनी तहजीब की पक्षधर और प्रचारक हैं।

नफरत की इंतेहा देखिए कि वो म्यूज़िक में भी धर्म देखते हैं। दादरा, ठुमरी, यमन, दरबारी और कल्याणी आदि धुनें भी हिन्दू मुस्लिम होती हैं। काश इन्हें कोई बताए कि हिंदी और उर्दू जब जुबान बनने की प्रक्रिया में थे तो इन में शायरी की दाग बेल अमीर खुसरो ने ही डाली थी…ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ 
…तबला समेत कई साज़ और धुनें खुसरो ने ईजाद की थीं. इतनी ही अकड़ है तो हर जगह (मंदिर और भजनों  समेत) रागों और साज़ों पर प्रतिबंध लगाओ. 
हमें नहीं भूलना चाहिए कि बिष्ट वही हिंदुत्व के धर्मगुरु हैं जिन्होंने ने अल्पसंख्यकों की औरतों को क़ब्रों से निकाल कर ब्लातकार करने के लिए प्रेरणादायक बयान दिया था. 
बीजेपी में तरक़्क़ी पाने के लिए सिर्फ मुसलमानों से नफरत, उन्हें बड़ी तादाद में क़त्ल करना ही काफी है. आज भी बीजेपी के पास कोई अर्थशास्त्री नहीं है जो इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) को कंट्रोल कर सके. इन्हें इकॉनमी से कुछ लेना देना है भी नहीं. रोटी कपड़ा और माकन ये अर्बन नक्सल का मुद्दा है. इन का मुद्दा सिर्फ एजंडा है. चंद लोगों का एजंडा जो भारत को मनुवादी हिन्दुस्थान बना दे. 

उत्तर प्रदेश पुलिस का चरित्र हमेशा से ही छटे गुंडों की ही रही है लेकिन फ़िलहाल जो उत्तेजना लखनऊ और इटावा में देखने को मिल रही है वो बाबा योगी की वजह से ही है. पुलिस और बाबा को संविधान के बारे में कुछ भी बताने से कोई फायदा नहीं है मगर दोनों ये जान लें कि जो भी सैलेरी उन्हें मिल रही है वो जनता के टैक्स से आता है. उत्तर प्रदेश पुलिस क्या जनता से लड़ने पर उतारू है? क्या वो जनता से लड़ सकती है?? हमें याद रखना चाहिए कि जनरल डॉयर के साथ जो पुलिस थी वो भारतीय ही थी…इसी पुलिस ने अपने ही लोगों पर जलियान वाला बाग़ में गोलियां चलायी थीं. अगर सारे के सारे पुलिस वाले ‘न’ कह देते तो पुलिस वालों की इतनी बड़ी तादाद थी कि उन के खिलाफ कोई करवाई नहीं हो सकती थी. 
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ… 2016 के बाद डाटा ही जारी नहीं किया गया। इंडिया टुडे में छपे एक लेख के मुताबिक अब क्राइम रिकॉर्ड के डाटा में भी हेरा फेरी कर दी गई है। नेशनल  क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो गृह मंत्रालय केेे अंतर्गत  काम करता है। अब यहां भी बनियागीरी शुरू  हो चुकी है। अगर कोई घटना होती है जिसमें अपहरण, बलात्कार, मर्डर और लाश जलाया जाना (सबूत मिटाने की कोशिश) शामिल हैं तो ये चार केस बनते हैं मगर Principal Offence Rule (POR) के मुताबिक ये सब एक ही केस माना जाएगा। गृहमंत्री देेश का सबसे बड़ा बनिया है।
फिर भी एनसीआरबी के मुताबिक़ यूपी ने टॉप किया है। यहां महिलाओं के खिलाफ सबसे ज़्यादा क्राइम हुए हैं। 
बाबा बिष्ट उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश तो बना नहीं सकते कयोंकि उनमे ऐसा कुछ है ही नहीं फ़िलहाल हमारी उनसे यही अपील है कि वो यूपी को एक मठ की तरह नहीं बल्कि एक प्रदेश की तरह चलायें. आज वो जिस कुर्सी पर बैठे हैं वो किसी की बपौती नहीं है. कल वो नहीं तो …कोई और होगा. 
आखिरी बातअगर भगवा हटा कर सिर्फ एक आम आदमी के तौर पर अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ बाबा योगी आदित्य नाथ को देखें जिन पर हत्या समेत कई मुक़दमे दर्ज हैं तो आप को वो एक छटे हुए गुंडे (मुजरिम) की तरह नज़र आएंगे. बड़े फ्रेम में देखिये और मुझे बताइये कि तालबन और योगी में क्या फ़र्क़ है? इतिहास गवाह है…धर्म की आड़ में हमेशा से यही होता आया है और होता रहेगा।
एक बाबा होने के नाते बिष्ट जी को बीवी और बच्चों यानि परिवार का कोई तजुर्बा नहीं है. यही वजह है कि गोरखपुर और सहारनपुर में हज़ारों बच्चे मर गए मगर उनके माथे पर बल तक नहीं आया. घर-ग्रहस्ती चलाने में क्या दिक़्क़ते आती हैं इन्हे कुछ अंदाज़ा है न होगा. वो महिलाएं जो हिन्दू-हिन्दू की रट में लीन हैं उन्हें सोचना चाहिए कि हिन्दू-हिन्दू के बाद उन्हें दोबारा घरों में क़ैद होना पड़ेगा. उन्हें देवी तो माना जायेगा मगर इंसान हरगिज़ नहीं.
टॉप टेन VPN ने कहा है कि भारत, सूडान और इराक के साथ, दुनिया के उन तीन शीर्ष देशों में शामिल है जिन्होंने सबसे ज़्यादा इंटरनेट बैन किया है। हिन्दुस्तान ने 2019 में कुल चार हज़ार 196 घंटे इंटरनेट बंद रखा और जिसके कारण उसे 3.1  बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. आज की बड़ी खबरों में है कि डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 10 पॉइंट्स नीचे (41से 51पर) आ गया है. 

…साफ है कि बीजेपी-आरएसएस को हिन्दू-मुस्लिम का मुद्दा चाहिए कयोंकि अब राम मंदिर का रास्ता साफ हो गया है और इस बात से इन्हें सब से ज़्यादा नुकसान हो रहा है. हिन्दू का ‘ह’ और मुस्लिम का ‘म’ मिलाकर ‘हम’ होता है…हम भारत के लोग हैं. हमारी सभ्यता हर दौर के लिए प्रकाश का उत्सव है… CAA2019+NRC+NRP= Divide and Rule की क्रोनोलॉजी हर भारतीय समझ चुका है। अब कुछ नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट भी जन भावना को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता. लोकतंत्र में इलेक्शन और सिलेक्शन सब कुछ जनता के हिसाब से ही होता है और जनता CAA2019+NRC+NRP= Divide and Rule के खिलाफ है। 

हिन्दू-मुस्लिम एकता को नागपुर के नाग ने ऐसा डस लिया है कि ज़हर कम होता नज़र नहीं आता…बाद अज़ तमाम… इरफ़ान सिद्दीक़ी का ये शेर बहुत फिट बैठेगा …
अजब हरीफ़ था मेरे ही साथ डूब गया मिरे सफ़ीने को ग़र्क़ाब देखने के लिए_इरफ़ान सिद्दीक़ी

मोबीन भाई को उनके ब्लॉग http://abirti.blogspot.com पर भी पढ़ा जा सकता है।