कोरोना काल के बाद नहीं हो रही सेना भर्तियां, सड़कों पर उतर रहे युवा, सरकार तीन साल के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर भर्ती करने की कर रही तैयारी

 

“कोरोना आने के बाद से ही फौज की कोई भर्ती नहीं हुई है. मेरी तो उम्र ही निकल गई है. 6 साल से भर्ती की तैयारी कर रहा था, लेकिन बिना मौका मिले ही उम्र निकल गई. अब मानेसर की एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता हूं.”

यह कहना था हरियाणा के झज्जर जिले के खुडण गांव के निवासी सचिन कुमार का. केवल 24 वर्षीय सचिन ही अकेले ऐसे युवा नहीं हैं जो फौज की भर्तियां न निकलने से परेशान हैं. उन्हीं की तरह बहुतेरे युवा उम्र के उस पड़ाव को ही पार कर गये हैं जिसमें वो भर्ती हो सकते थे.

इन युवाओं की सड़क पर दौड़ लगाते-लगाते उम्र निकल गई है, लेकिन फौज की भर्ती नहीं निकली. कई-कई साल तैयारी करने के बावजूद उम्र निकल जाने के बाद युवा कुछ और काम ढूंढने में मजबूर हैं. जब गांव सवेरा की टीम इसी साल फरवरी में यूपी चुनाव में कवरेज कर रही थी, तब भी हमने ऐसे युवाओं से बात की. वह भी बहुत परेशान दिखे.

भर्तियां न निकलने से युवाओं में रोष बढ़ रहा है. राजस्थान में तो इस साल युवा अनेकों जिलों में प्रदर्शन कर चुके हैं. राजस्थान में बड़ी संख्या में डिफेंस एकेडमियां हैं, जहां युवा सेना में जाने की तैयारियां करते हैं. तैयारी करने वाले ये युवा उम्र बीत जाने के डर से सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर लगातार सेना की भर्ती करवाने के लिए अभियान चला रहे हैं.

सेना भर्ती के लिए आंदोलन पश्चिमी राजस्थान में ज्यादा तेज हुए हैं. सूबे के जिले नागौर, झुंझनू, सीकर, गंगानगर और बीकानेर के युवा सेना की भर्ती करवाने की मांग को लेकर कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं क्योंकि युवाओं की उम्र निकलती जा रही है. बीती 12 अप्रैल को श्रीगंगानगर जिले में सेना रैली भर्ती को लेकर छात्र संगठन एसएफआई ने जिला मुख्यालय पर विरोध-प्रदर्शन भी किया.

ये युवा सरकार से उम्र में छूट की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अधिकतर युवाओं की भर्ती की बाट जोहते-जोहते उम्र भी निकल गई है. युवाओं के दबाव के कारण इलाके के लोकसभा में नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने 04 फरवरी 2022 को सेना भर्ती के बारे में सवाल भी पूछना पड़ा. उनके सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि साल 2021-22 में केवल चार भर्ती रैलियां आयोजित की गई हैं. कोरोना महामारी की वजह से भर्ती रैलियां स्थगित हैं.

राजस्थान के अलावा हरियाणा में भी युवा सड़कों पर उतर आए हैं. बीती 4 अप्रैल को सेना भर्ती का सपना टूटता देख कैथल के युवा भी सड़कों पर उतर आए थे. युवाओं ने कई घंटे पेहवा चौक पर जाम लगाए रखा और लघु सचिवालय का घेराव भी किया.

हरियाणा के गांवों में युवाओं की बड़ी आबादी का फौजी बनने का सपना होता है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए युवा छात्र जीवन में ही कड़ी मेहनत करने लगते हैं. गर्मी हो चाहे सर्दी, यहां के नौजवान सुबह-शाम दौड़ लगाना नहीं छोड़ते. बहुत सारे ग्रामीण परिवारों में तो दूध देने वाली भैंस को रखा ही इसलिए जाता है कि फौज की तैयारी कर रहे बच्चे की सेहत सही रहे. आज भी हरियाणा के गांवों की फिरनी पर सुबह शाम दौड़ लगाते हुए युवा दिखाई देना बहुत सामान्य बात है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रैली में भी हंगामा कर चुके हैं युवा

उत्तर प्रदेश के चुनाव अभियान के दौरान राजनाथ सिंह की गौंडा और सिकंदरपुर के बंशीबाजार की रैलियों में युवाओं ने ‘सेना की भर्ती चालू करो, हमारी मांगे पूरी करो’ जैसे नारे लगाते हुए खूब हंगामा किया था। युवाओं को शांत करने के लिए राजनाथ सिंह ने कहा था कि जल्द ही सेना की भर्ती होगी। लेकिन अभी तक कोई भर्ती नहीं निकली है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विषय पर एक सवाल का जवाब देते हुए पिछले महीने राज्यसभा को भी बताया था कि कोरोना से पहले सेना हर साल औसतन 100 भर्ती रैलियां आयोजित करती थी, जिनमें से प्रत्येक छह से आठ जिलों को कवर करती थी। कोविड के आने से पहले सेना ने 2019-20 में 80,572 और 2018-19 में 53,431 कैंडिडेट्स की भर्ती की थी। सरकार आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 और 2021-22 में भारतीय नौसेना में क्रमश: 2,772 और 5,547 कर्मियों की भर्तियां हुई। वायुसेना में 2020-21 और 2021-22 में क्रमश: 8,423 और 4,609 कर्मियों की भर्ती हुई जो पहले की तुलना में न के बराबर है।

इस समय सेना में सैनिकों की कमी भी है, लेकिन अभी तक भर्ती रैलियां सुचारू रूप से शुरू नहीं हुई हैं. हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक,”सेना में फिलहाल अधिकारी रैंक (PBOR) कैडर से नीचे के कर्मियों में लगभग 120,000 सैनिकों की कमी है. हर महीने कम से कम 5,000 जवानों की दर से कमी बढ़ रही है. हमारे पास 10 लाख से अधिक सैनिकों की अधिकृत ताकत है.”

फॉरवर्ड एरिया में तैनात सीनियर अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, “भर्ती रुकने के कारण जनशक्ति पर दबाव बढ़ गया है, लेकिन फ्रंट-लाइन यूनिट्स की दक्षता कम नहीं हुई है. मैनपावर प्लानिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि हम मौजूदा संख्या के साथ काम कर सकें.”

इसी बीच सरकार अग्निपथ प्रवेश योजना (Agnipath Yojna) लॉन्च करने वाली है, जिसके तहत सेना में तीन साल के लिए संविदा(कॉन्ट्रेक्ट) के आधार पर भर्ती हो सकती है. इस प्रक्रिया के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को शिक्षा भी दी जाएगी और आतंकरोधी अभियानों में काम करने के लिए भी भेजा जाएगा. जवानों की भर्ती के लिए इस योजना का प्रस्ताव आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ एमएम नरवने ने 2020 में दिया था. शुरू में अग्निपथ प्रवेश योजना को वर्ष 2017 में रिटायर हुए डॉक्टरों की वापसी करवाने के लिए लागू किया गया था.

मोदी सरकार की सेना में भर्ती के इस नये सिस्टम के तहत सेवा में आए सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा. तीन वर्ष की नौकरी के बाद इन युवाओं को सेना से हटाया जायेगा. बेहतर प्रदर्शन करने वाले युवाओं को सेवा में बनाए रखा जा सकता है. योजना के मुताबिक तीन साल बाद जवान सेना से निकलकर सिविल सेवा जॉब या फिर कारपोरेट सेक्टर में जा सकेंगे. सरकार का कहना है कि पिछले कुछ साल में कई कॉरपोरेट कंपनियां इस तरह के जवानों को अपने यहां भर्ती करने में दिलचस्पी दिखा चुकी हैं. सेना में तीन साल तक काम करने के बाद युवाओं को यहां पर काम करने का अवसर मिल सकता है.

इस योजना को ज्यादातर अखबार युवाओं के लिए एक सुनहरा मौका बता रहे हैं. लेकिन इस योजना में न तो रिटायरमेंट की कोई बात है और न ही रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की और न ही फौजियों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं की बात की गई है. ऐसे में यह योजना युवाओं के लिए सुनहरा अवसर साबित होती है या फिर उनके अवसर छीनने वाली, यह तो योजना लागू होने के बाद ही अच्छे से पता चल पायेगा.